ईद के बारे में रोचक तथ्य- Facts about Eid in Hindi

Eid in Hindi: रमज़ान वह महीना है जब क़ुरान नाज़िल (अवतरित) हुए थे, देखा जाए तो रमज़ान महज़ इबादत और त्याग का महिना ही नहीं बल्कि यह महिना जश्न का भी महीना होता है। तो आइये दोस्तों आज हम जानते है ईद से जुड़े कुछ अनसुने रोचक तथ्य – Facts About Eid In Hindi

ईद के बारे में रोचक तथ्य- Facts about Eid in Hindi

ईद के बारे में रोचक तथ्य [1-10 ]- Facts about Eid in Hindi


1. रमज़ान अरबी शब्द है जिसका मतलब है चुभती गर्भी।

2. रमज़ान का महीना चंद्र कैलेंडर पर आधारित होता है।

3. हिजरी कैलेण्डर के अनुसार, ईद साल में दो बार मनाई जाती है पहली ईद-उल-फितर और दूसरी ईद-उल-जुहा। ईद-उल-फितर को  ईद के नाम से और ईद-उल-जुहा को बकरीद के नाम से जाना जाता है।

4. रोज़ा रखना इस्लाम में फर्ज है, लेकिन कुछ मामलो में छुट भी है, इस्लाम धर्म का पवित्र ग्रन्थ क़ुरान के अनुसार बीमार व्यक्तियों, गर्भवती और बच्चों को स्तनपान कराने वाली महिलाओं को रोज़े रखने से छूट है।

5. सुन्नी मुसलमान शाम (मग़रिब) की नमाज़ जब सूरज लगभग ढलने लगता है,तब रोज़ा खोलते हैं वहीं शिया मुसलमान जब तक पूरा अंधेरा न हो जाए रोज़ा नहीं खोलते।

6. रमज़ान का महीना हर साल पीछे होते रहता है। क्योकि चंद्र साइकिल पीछे की तरफ़ चलती है।

7. क़ुरान के अनुसार इफ़्तार में नमक के साथ रोज़ा खोलने की बात की गई है, लेकिन देखने में आता है कि लोग खजूर के साथ रोज़ा खोलते हैं। जो लोग खजूर के साथ रोज़ा खोलते है उनका मानना है कि हुज़ूर (पैग़ंबर मुहम्मद) भी खजूर से रोज़ा खोलते थे।

8. मुसलमानों में लोगो के नाम रमजान नाम रखना बहुत ही आम बात है।

9. हिब्रो बाइबिल के अनुसार, रोज़े का चलन इस्लाम के आने के पहले से ही था।

10. अरब जैसे देशों में रमज़ान के महीने में टीवी चैनलों की टीआरपी बहुत ही ज्यादा बढ़ जाती है क्योकि इन देशों में चैनल तीसों दिनों के लिए कार्यक्रम बनाते हैं, और इन  जिनका कार्यक्रमो का प्रसारण रात को होता है।

ईद के बारे में रोचक जानकारी  [11-20]- Facts about Eid in Hindi


11. रमज़ान में रोज़ेदारों का वज़न घटने की बजाय बढ़ जाता है। क्योकि रोज़ा खोलने के बाद ये ज़रुरत से ज़्यादा खा लेते हैं, और दिनभर शुस्थ रहते है|

12. क़ुरान में बताया गया है कि रमजान के महीने में खाना कम खाने की हिदायत दी गई है।

13. इस्लाम धर्म के अनुसार पहली ईद  624 ईस्वी में जंग-ए-बद्र की लड़ाई के बाद मनाई गई थी।