जनम ग्वालियर जानिए खंड बुंदेले बाल।
तरुनाई आई सुघर मथुरा बसि ससुराल।।
[su_table]
जन्म | सन् 1595 |
जन्म भूमि | ग्वालियर |
मृत्यु | सन् 1663 |
अभिभावक | केशवराय |
कर्म भूमि | जयपुर |
कर्म-क्षेत्र | हिन्दी कवि |
मुख्य रचनाएँ | ‘बिहारी सतसई’ |
विषय | श्रृंगार |
भाषा | हिन्दी |
बिहारीलाल के दोहे – Biharilal Ke Dohe in Hindi
बिहारीलाल दोहा (Biharilal Dohe) : 1
गिरि तैं ऊंचे रसिक-मन बूढे जहां हजारु।
बहे सदा पसु नरनु कौ प्रेम-पयोधि पगारु।।
Hindi Meaning (अर्थ ): बिहारीलाल जी कहते है, कि दुनिया के ऊंचे पर्वतो के समान प्रेम रखने वाले प्रेमी जन, प्रेम के सागर में हज़ार बार डूबने के बाद भी उसकी थाह नहीं ढूंढ पाए, और वहीं नर-पशुओं जैसे लोग अर्थात अरसिक प्रवृत्ति के लोगों को प्रेम का सागर छोटी खाई के समान प्रतीत होता है।
बिहारीलाल दोहा (Biharilal Dohe) : 2
कनक-कनक ते सौं गुनी मादकता अधिकाय।
इहिं खाएं बौराय नर, इहिं पाएं बौराय।।
Hindi Meaning (अर्थ ): बिहारीलाल कनक शब्द का प्रयोग दो बार करते हुए समझते है कि पहले कनक का अर्थ है, धतूरा और दूसरे कनक का अर्थ है सोना। अगर इन दोनों की मात्रा ज्यादा हो जाए तो इंसान पागल अर्थात अभिमानी हो जाता है।
बिहारीलाल दोहा (Biharilal Dohe) : 3
अंग-अंग नग जगमगत, दीपसिखा सी देह।
दिया बढ़ाए हू रहै, बड़ौ उज्यारौ गेह।।
Hindi Meaning (अर्थ ): नायिका का प्रत्येक अंग रत्न की भाँति जगमगा रहा है, उसका तन दीपक की शिखा की भाँति झिलमिलाता है अतः दिया बुझा देने पर भी घर मे उजाला बना रहता है।
बिहारीलाल दोहा (Biharilal Dohe) : 4
कब कौ टेरतु दीन रट, होत न स्याम सहाइ।
तुमहूँ लागी जगत-गुरु, जग नाइक, जग बाइ।।
Hindi Meaning (अर्थ ): बिहारी जी प्रभु को पुकार लगाते हुए कहते है कि मैं कितने समय से दीन होकर प्रभु आपको पुकार रहा हूँ और आप मेरी सहायता नहीं करते। हे नाथ! जगत के स्वामी ऐसा लग रहा है मानो आप को भी संसार की हवा लग गयी है यानि आप भी संसार की भांति स्वार्थी हो गए हो।
बिहारीलाल दोहा (Biharilal Dohe) :5
या अनुरागी चित्त की, गति समुझे नहिं कोई।
ज्यौं-ज्यौं बूड़े स्याम रंग, त्यौं-त्यौ उज्जलु होइ।।
Hindi Meaning (अर्थ ): बिहारी जी कहते है कि इस प्रेमी मन की गति को कोई भी नहीं समझ सकता। क्योकि यह प्रेमी मन जैसे जैसे कृष्ण के रंग में रंगता जाता है। वैसे – वैसे यह उज्ज्वल या अधिक निर्मल हो जाता हैं।
बिहारीलाल दोहा (Biharilal Dohe) : 6
दृग उरझत, टूटत कुटुम, जुरत चतुर-चित्त प्रीति।
परिति गांठि दुरजन-हियै, दई नई यह रीति।।
Hindi Meaning (अर्थ ): बिहारी जी ने बताते है कि प्रेम की रीति अनूठी होती है। इसमें उलझते तो नयन हैं, लेकिन परिवार टूट जाते हैं, प्रेम की यह रीति नई है इससे चतुर प्रेमियों के चित्त तो जुड़ जाते हैं पर दुष्टों के हृदय में गांठ पड़ जाती है।
बिहारीलाल दोहा (Biharilal Dohe) : 7
जसु अपजसु देखत नहीं देखत सांवल गात।
कहा करौंए लालच.भरे चपल नैन चलि जात।।
Hindi Meaning (अर्थ ): यह मेरी आँखे यश,अपयश की चिंता किये बिना न जाने क्यों साँवले कृष्ण को ही निहारते रहते हैं। मैं बिल्कुल विवश हो जाती हूँ कि आखिर क्या करूं क्योंकि कृष्ण के दर्शनों के लालच से भरे मेरे चंचल नयन बार – बार उनकी ओर चल देते हैं।
बिहारीलाल दोहा (Biharilal Dohe) : 8
मेरी भाव बाधा हरौए राधा नागरि सोइ।
जां तन की झांई परैए स्यामु हरित दुति होइ।।
Hindi Meaning (अर्थ ): कवि बिहारी जी राधा जी की स्तुति करते हुए कहते हैं कि मेरी सांसारिक बाधाएँ वही “चतुर राधा” दूर करेंगी जिनके शरीर की छाया पड़ने से साँवले कृष्ण हरे रंग के प्रकाश वाले हो जाते हैं। मेरे दुखों का हरण वही चतुर राधा करेंगी जिनकी झलक दिखने मात्र से साँवले कृष्ण हरे अर्थात प्रसन्न जो जाते हैं।
बिहारीलाल दोहा (Biharilal Dohe) : 9
कीनैं हुँ कोटिक जतन अब कहि काढ़े कौनु।
भो मन मोहन.रूपु मिलि पानी मैं कौ लौनु।।
Hindi Meaning (अर्थ ): जिस प्रकार पानी मे नमक मिल जाता है, ठीक उसी प्रकार मेरे हृदय में कृष्ण का रूप समा गया है। अब कोई कितना ही यत्न कर ले पर जैसे पानी से नमक को अलग करना असंभव है, ठीक उसी तरह से मेरे हृदय से कृष्ण का प्रेम मिटाना असम्भव है।
बिहारीलाल दोहा (Biharilal Dohe) : 10
तो पर वारौं उरबसी, सुनि राधिके सुजान।
तू मोहन के उर बसीं, ह्वै उरबसी समान।।
Hindi Meaning (अर्थ ): राधा को यूँ प्रतीत हो रहा है कि श्रीकृष्ण किसी अन्य स्त्री के प्रेम में बंध गए हैं। राधा की सखी उन्हें समझाते हुए कहती है कि हे राधिका अच्छे से जान लोए कृष्ण तुम पर उर्वशी अप्सरा को भी न्योछावर कर देंगे क्योंकि तुम कृष्ण के हृदय में उरबसी आभूषण के समान बसी हुई हो।
बिहारीलाल दोहा (Biharilal Dohe) : 11
कहत, नटत, रीझत, खीझत, मिलत, खिलत, लजियात।
भरे भौन में करत है, नैननु ही सब बात।
Hindi Meaning (अर्थ ): बिहारी लाल जी कहते है कि गुरुजनों की उपस्थिति के कारण कक्ष में नायक-नायिका मुख से वार्तालाप करने में असमर्थ हैं। आंखों के संकेतों के द्वारा नायक नायिका को काम-क्रीड़ा हेतु प्रार्थना करता है, नायिका मना कर देती है, नायक उसकी ना को हाँ समझ कर रीझ जाता है। नायिका उसे खुश देखकर खीझ उठती है। अंत मे दोनों में समझौता हो जाता है। नायक पुनः प्रसन्न हो जाता है। नायक की प्रसन्नता को देखकर नायिका लजा जाती है। इस प्रकार गुरुजनों से भरे भवन में नायक-नायिका नेत्रों से परस्पर बातचीत करते हैं।
बिहारीलाल दोहा (Biharilal Dohe) : 12
पत्रा ही तिथि पाइये, वा घर के चहुँ पास।
नित प्रति पुनयौई रहै, आनन-ओप-उजास।।
Hindi Meaning (अर्थ ): बिहारी लाल जी कहते है कि नायिका के घर के चारों ओर पंचांग से ही तिथि ज्ञात की जा सकती है क्योंकि नायिका के मुख की सुंदरता का प्रकाश वहाँ सदा फैला रहता है जिससे वहां सदा पूर्णिमा का स आभास होता है।
बिहारीलाल दोहा (Biharilal Dohe) : 13
कोऊ कोरिक संग्रहौ, कोऊ लाख हज़ार।
मो संपति जदुपति सदा, विपत्ति-बिदारनहार।।
Hindi Meaning (अर्थ ): बिहारी लाल जी कहते है कि कोई व्यक्ति करोड़ एकत्र करे या लाख-हज़ार, मेरी दृष्टि में धन का कोई महत्त्व नहीं है। मेरी संपत्ति तो मात्र यादवेन्द्र श्रीकृष्ण हैं जो सदैव मेरी विपत्तियों को नष्ट कर देते हैं।
बिहारीलाल दोहा (Biharilal Dohe) : 14
कहा कहूँ बाकी दसा, हरि प्राननु के ईस।
विरह-ज्वाल जरिबो लखै, मरिबौ भई असीस।।
Hindi Meaning (अर्थ ): नायिका की सखी नायक से कहती है- हे नायिका के प्राणेश्वर! नायिका की दशा के विषय में तुम्हें क्या बताऊँ, विरह-अग्नि में जलता देखती हूँ तो अनुभव करती हूँ कि इस विरह पीड़ा से तो मर जाना उसके लिए आशीष होगा।
बिहारीलाल दोहा (Biharilal Dohe) : 15
जपमाला, छापें, तिलक सरै न एकौकामु।
मन कांचे नाचै वृथा, सांचे राचै रामु।।
Hindi Meaning (अर्थ ): बिहारी लाल जी कहते है कि नाम जपने की माला से या माथे पर तिलक लगाने से एक भी काम सिद्ध नहीं हो सकता। यदि मन कच्चा है तो वह व्यर्थ ही सांसारिक विषयों में नाचता रहेगा। सच्चा मन ही राम में रम सकता है।
बिहारीलाल दोहा (Biharilal Dohe) : 16
घरु-घरु डोलत दीन ह्वै, जनु-जनु जाचतु जाइ।
दियें लोभ-चसमा चखनु लघु पुनि बड़ौ लखाई।।
Hindi Meaning (अर्थ ): बिहारी लाल जी कहते है कि लोभी व्यक्ति के व्यवहार का वर्णन करते हुए बिहारी कहते हैं कि लोभी ब्यक्ति दीन-हीन बनकर घर-घर घूमता है और प्रत्येक व्यक्ति से याचना करता रहता है। लोभ का चश्मा आंखों पर लगा लेने के कारण उसे निम्न व्यक्ति भी बड़ा दिखने लगता है अर्थात लालची व्यक्ति विवेकहीन होकर योग्य-अयोग्य व्यक्ति को भी नहीं पहचान पाता।
बिहारीलाल दोहा (Biharilal Dohe) : 17
मोहन-मूरति स्याम की अति अद्भुत गति जोई।
बसतु सु चित्त अन्तर, तऊ प्रतिबिम्बितु जग होइ।।
Hindi Meaning (अर्थ ): बिहारी लाल जी कहते है कि कृष्ण की मनमोहक मूर्ति की गति अनुपम है। कृष्ण की छवि बसी तो हृदय में है और उसका प्रतिबिम्ब सम्पूर्ण संसार मे पड़ रहा है।
बिहारीलाल दोहा (Biharilal Dohe) : 18
मैं समुझयौ निरधार, यह जगु काँचो कांच सौ।
एकै रूपु अपर, प्रतिबिम्बित लखियतु जहाँ।।
Hindi Meaning (अर्थ ): बिहारीलाल जी कहते है कि इस सत्य को मैंने जान लिया है कि यह संसार निराधार है। यह काँच के समान कच्चा है अर्थात मिथ्या है। कृष्ण का सौन्दर्य अपार है जो सम्पूर्ण संसार मे प्रतिबिम्बित हो रहा है।
बिहारीलाल सतसई इन हिंदी – Biharilal satsai In Hindi
बिहारीलाल दोहा (Biharilal Dohe) : 19
या अनुरागी चित्त की,गति समुझे नहिं कोई।
ज्यौं-ज्यौं बूड़े स्याम रंग,त्यौं-त्यौ उज्जलु होइ।।
Hindi Meaning (अर्थ ): कवि बिहारीलाल जी कहते है कि इस प्रेमी मन की गति को कोई नहीं समझ सकता। जैसे-जैसे यह कृष्ण के रंग में रंगता जाता है,वैसे-वैसे उज्ज्वल होता जाता है अर्थात कृष्ण के प्रेम में रमने के बाद अधिक निर्मल हो जाते हैं।
बिहारीलाल दोहा (Biharilal Dohe) : 20
जसु अपजसु देखत नहीं देखत सांवल गात।
कहा करौं, लालच-भरे चपल नैन चलि जात।।
Hindi Meaning (अर्थ ): नायिका अपनी विवशता प्रकट करती हुई कहती है कि मेरे नेत्र यश-अपयश की चिंता किये बिना मात्र साँवले-सलोने कृष्ण को ही निहारते रहते हैं। मैं विवश हो जाती हूँ कि क्या करूं क्योंकि कृष्ण के दर्शनों के लालच से भरे मेरे चंचल नयन बार -बार उनकी ओर चल देते हैं।
बिहारीलाल दोहा (Biharilal Dohe) : 21
मेरी भाव-बाधा हरौ,राधा नागरि सोइ।
जां तन की झांई परै, स्यामु हरित-दुति होइ।।
Hindi Meaning (अर्थ ): बिहारी लाल जी कहते है कि मेरी सांसारिक बाधाएँ वही चतुर राधा दूर करेंगी जिनके शरीर की छाया पड़ते ही साँवले कृष्ण हरे रंग के प्रकाश वाले हो जाते हैं। अर्थात–मेरे दुखों का हरण वही चतुर राधा करेंगी जिनकी झलक दिखने मात्र से साँवले कृष्ण हरे अर्थात प्रसन्न जो जाते हैं।
बिहारीलाल दोहा (Biharilal Dohe) : 22
पत्रा ही तिथि पाइये,वा घर के चहुँ पास।
नित प्रति पुनयौई रहै, आनन-ओप-उजास।।
Hindi Meaning (अर्थ ): बिहारी लाल जी कहते है कि नायिका के घर के चारों ओर पंचांग से ही तिथि ज्ञात की जा सकती है क्योंकि नायिका के मुख की सुंदरता का प्रकाश वहाँ सदा फैला रहता है जिससे वहां सदा पूर्णिमा का स आभास होता है।
बिहारीलाल दोहा (Biharilal Dohe) : 23
जपमाला,छापें,तिलक सरै न एकौकामु।
मन कांचे नाचै वृथा,सांचे राचै रामु।।
Hindi Meaning (अर्थ ): बिहारी लाल जी कहते है कि नाम जपने की माला से या माथे पर तिलक लगाने से एक भी काम सिद्ध नहीं हो सकता। यदि मन कच्चा है तो वह व्यर्थ ही सांसारिक विषयों में नाचता रहेगा। सच्चा मन ही राम में रम सकता है।
बिहारीलाल दोहा (Biharilal Dohe) : 24
घरु-घरु डोलत दीन ह्वै,जनु-जनु जाचतु जाइ।
दियें लोभ-चसमा चखनु लघु पुनि बड़ौ लखाई।।
Hindi Meaning (अर्थ ): बिहारी लाल जी कहते है कि लोभी ब्यक्ति दीन-हीन बनकर घर-घर घूमता है और प्रत्येक व्यक्ति से याचना करता रहता है। लोभ का चश्मा आंखों पर लगा लेने के कारण उसे निम्न व्यक्ति भी बड़ा दिखने लगता है अर्थात लालची व्यक्ति विवेकहीन होकर योग्य-अयोग्य व्यक्ति को भी नहीं पहचान पाता।
बिहारीलाल दोहा (Biharilal Dohe) : 25
मोहन-मूरति स्याम की अति अद्भुत गति जोई।
बसतु सु चित्त अन्तर, तऊ प्रतिबिम्बितु जग होइ।।
Hindi Meaning (अर्थ ): बिहारी लाल जी कहते है कि कृष्ण की मनमोहक मूर्ति की गति अनुपम है। कृष्ण की छवि बसी तो हृदय में है और उसका प्रतिबिम्ब सम्पूर्ण संसार मे पड़ रहा है।
बिहारीलाल दोहा (Biharilal Dohe) : 26
मैं समुझयौ निरधार,यह जगु काँचो कांच सौ।
एकै रूपु अपर, प्रतिबिम्बित लखियतु जहाँ।।
Hindi Meaning (अर्थ ): बिहारी लाल जी कहते है कि इस सत्य को मैंने जान लिया है कि यह संसार निराधार है। यह काँच के समान कच्चा है अर्थात मिथ्या है। कृष्ण का सौन्दर्य अपार है जो सम्पूर्ण संसार मे प्रतिबिम्बित हो रहा है।