संत कबीर दास के दोहे अर्थ सहित | Kabir Ke Dohe

Kabir Ke Dohe: संत कबीर एक बहुत बड़े अध्यात्मिक इन्सान थे, कबीर दास जी अपने जीवन में कर्म पर विश्वास करते थे, अगर कबीर शब्द का अर्थ इस्लाम के अनुसार देखा जाए तो कबीर का अर्थ महान होता है| कबीर दास जी कभी भी जाति-पाति में भेदभाव नहीं करते थे |  Kabir जी हमेशा अपने उपदेश में इस बात का जरुर जिक्र किया करते थे, कि अल्लाह और राम दोनों एक ही है , बस इनके दो अलग-अलग नाम है |
कबीर दास जी के प्रसिद्द दोहे हिंदी अर्थ सहित Kabir daas ji ke dohe hindi arth sahit
Sant kabir das ji का जन्म (janam) एक हिन्दू समुदाय में हुआ था, लेकिन इनका पालन-पोषण एक मुस्लिम परिवार में हुआ था | जिन्होंने इनका पालन-पोषण किया था उनका नाम नीरू और नीमा था | कबीर दास जी की प्रारंभिक शिक्षा रामानन्द जी से मिली थी | ये भी माना जाता है, कि कबीर जी रामानन्द जी सबसे प्रिय शिष्य थे | और उन्होंने अपने जीवनकाल में बहुत सारे ज्ञान को प्राप्त किया, तो आएये दोस्तों अब हम आपको कबीर दास जी के दूआरा कहे गए दोहों के बारे में बताते है, जो हर इन्सान को जानना चाहिए, और जानने के साथ-साथ अपने जीवन में भी धारण करना चाहिए –

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नाम (Name) Kabir Das ( कबीर दास )
जन्म (Born) (1398 या  1440) लहरतारा , निकट वाराणसी [ ठीक से ज्ञात नहीं ]
मृत्यु (Died) (1448 या 1518) मगहर [ ठीक से ज्ञात नहीं ]
पेशा (Occupation) कवि, भक्त, सूत कातकर कपड़ा बनाना
राष्ट्रीयता (Nationality) भारतीय

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कबीर के दोहे अर्थ सहित Kabir ke dohe arth sahit

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 1

बोली एक अनमोल है, जो कोई भी बोले जानि ।।
हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): संत कबीरदास जी कहते है कि एक मधुर वाणी बोलने वाले इन्सान को पता होता है, कि शब्द कितने अनमोल होते है, इसलिए वह हृदय रूपी तराजू में शब्दों को तोलकर ही बाहर आने देता है |

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 2

साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय ।।
सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): कबीरदास जी सज्जनों के बारे में कहते है , कि इस संसार में अनाज साफ़ करने वाला सूप की तरह सज्जन को होना चाहिए, जो अपने काम की चीज रखे, बाकी सारी चीजो को निकाल दे |

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 3

गहना एक कनकते गहना, या में भाव न दूजा ।।
कहन सुनन को दुई कर थापे, एक निमाज एक पूजा ।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): दुनिया में सोने के गहने को अलग-अलग नामो से पुकारा जाता है, लेकिन सभी गहनों में तो होता सोना ही है | ठीक इसी तरह से दुनिया के सभी धर्मो की पूजा अलग-अलग नामो से की जाती है, लेकिन सभी का भाव रूप एक ही होता है|

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 4

कबीर कहा गरबियो, देही देखि सुरंग ।।
बीछड़ियाँ मिलिबो नहीं, ज्यों काँचली भुवंग।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): कबीर दास जी कहते हैं ,कि इस सुन्दर शरीर को देखकर गर्व न करो ? क्योकि मरने के बाद आत्मा को ये शरीर नहीं मिलती , जैसे साँप को एक बार केंचुल को त्याग देने पर दोबारा  नहीं मिलती।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 5

कबीर कहा गरबियो, ऊँचे देखि अवास ।।
काल्हि परौ भुई लोटना, ऊपरि जमिहै घास ।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): कबीरदास दास जी कहते हैं कि ऊँचे-ऊँचे महलों को देखकर घमंड न करो, मरने के बाद जमीन के अन्दर ही लेटना पड़ेगा, और ऊपर से घास जम जाएगी।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 6

“बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय”।।
“जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): जब पूरे संसार में बुराई खोजने गया ,तो मुझे कोई भी बुरा नहीं मिला , और जब मैंने अपने मन में झाँक कर देखा तो पाया कि इस दुनिया में मुझसे बुरा कोई और नहीं है।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 7

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,।।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): बड़ी बड़ी किताबे पढ़कर दुनिया में न जाने कितने लोग स्वर्ग गति को प्राप्त हो गए ,लेकिन सभी लोग विद्वान न हो सके। कबीर जी का मानना है, कि यदि कोई इन्सान प्रेम के केवल ढाई अक्षर ही अच्छी तरह पढ़ ले, या उसे जान ले, तो वही इन्सान सच्चा ज्ञानी होता है ।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 8

जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान,।।
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): सज्जन की जाति न पूछकर, बल्कि उसके ज्ञान को समझना चाहिए। क्योकि तलवार की कीमत होती है न किउसके मयान की |

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 9

अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप,।।
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।।Kabir Das।।

Hindi Meaning (अर्थ ): न तो अधिक बोलना अच्छा है, न ही जरूरत से ज्यादा चुप रहना ही ठीक है। जैसे बहुत ज्यादा वर्षा भी अच्छी नहीं और बहुत ज्यादा धूप भी अच्छी नहीं है।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 10

दुर्लभ मानुष जन्म है, देह न बारम्बार,।।
तरुवर ज्यों पत्ता झड़े, बहुरि न लागे डार।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): इस संसार में इन्सान का जन्म मुश्किल से मिलता है। यह मानव शरीर उसी तरह बार-बार नहीं मिलता जैसे वृक्ष से पत्ता  झड़ जाए तो दोबारा डाल पर नहीं लगता।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 11

कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर,।।
ना काहू से दोस्ती,न काहू से बैर।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ):  इस संसार में आकर कबीर अपने जीवन में बस यही चाहते हैं कि सबका भला हो और संसार में यदि किसी से दोस्ती नहीं तो दुश्मनी भी न हो !

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 12

पानी केरा बुदबुदा, अस मानुस की जात।।
एक दिना छिप जाएगा,ज्यों तारा परभात।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): कबीर जी कहते है कि पानी के बुलबुले की तरह ,इन्सान का शरीर क्षणभंगुर है।जैसे प्रभात होते ही तारे छिप जाते हैं, वैसे ही ये शरीर भी एक दिन नष्ट हो जाएगी।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 13

जो उग्या सो अन्तबै, फूल्या सो कुमलाहीं।।
जो चिनिया सो ढही पड़े, जो आया सो जाहीं।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): इस संसार का यही नियम है कि जो उदय हुआ है,वह अस्त होगा। जो विकसित हुआ है वह मुरझा जाएगा। जो चिना गया है वह गिर पड़ेगा और जो आया है वह जाएगा।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) :14

तन को जोगी सब करें, मन को बिरला कोई।।
सब सिद्धि सहजे पाइए, जे मन जोगी होइ।।Kabir Das।।

Hindi Meaning (अर्थ ): शरीर में भगवे वस्त्र धारण करना सरल है, पर मन को योगी बनाना बहुत ही मुश्किल काम है य़दि मन योगी हो जाए तो सारी सिद्धियाँ सहज ही प्राप्त हो जाती हैं।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 15

जब मैं था तब हरी नहीं, अब हरी है मैं नाही ।।
सब अँधियारा मिट गया, दीपक देखा माही ।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): जब मैं अपने अहंकार में डूबा था ,तब मै भगवान को नहीं देख पा रहा था , लेकिन जब गुरु ने ज्ञान का दीपक मेरे अन्दर प्रकाशित किया तब अज्ञान का सब अन्धकार मिट गया ,ज्ञान की ज्योति से अहंकार जाता रहा और ज्ञान के आलोक में प्रभु को पाया।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 16

रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय ।।
हीरा जन्म अमोल सा, कोड़ी बदले जाय ।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): रात को सो के गवा दिया और दिन के समय को खा के ,यह मनुष्य का जन्म हीरे के सामान बहुमूल्य है जिसे तुमने व्यर्थ कर दिया, तो जीवन का क्या मूल्य बचा ? यह एक कौड़ी के समान है|

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 17

बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर।।
पंछी को छाया नहीं फल लागे अति दूर ।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): खजूर के पेड़ के समान बड़ा होने का कोई फायदा नहीं , क्योकि खजूर का पेड़ न किसी को छाँव दे सकता है ओर न किसी को फल |

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 18

मानुष जन्म दुलभ है, देह न बारम्बार।।
तरवर थे फल झड़ी पड्या,बहुरि न लागे डारि।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): इन्सान का जन्म पाना बहुत कठिन है, यह शरीर बार-बार नहीं मिलता. जो फल वृक्ष से नीचे गिर पड़ता है वह पुन: उसकी डाल पर नहीं लगता |

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 19

झूठे को झूठा मिले, दूंणा बंधे सनेह ।।

झूठे को साँचा मिले तब ही टूटे नेह ।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): जब एक झूठे इन्सान को दूसरा झूठा इन्सान मिलता है तो दूना प्रेम बढ़ता है,लेकिन जब एक झूठे इन्सान को एक सच्चा इन्सान मिलता है , तो प्रेम टूट जाता है|

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 20

पढ़ी पढ़ी के पत्थर भया लिख लिख भया जू ईंट।।
कहें कबीरा प्रेम की लगी न एको छींट।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): अगर ज्यादा ज्ञान प्राप्त करके इन्सान पत्थर सा कठोर हो जाए या ईंट जैसा निर्जीव हो जाए तो ऐसे ज्ञान का कोई लाभ नहीं, जिस इन्सान का मन को प्रेम को नहीं छुआ, वह इन्सान तो पत्थर ही बनेगा क्योकि एक छींटा भर प्रेम इन्सान को सजीव बना देता है|

कबीर के दोहे अर्थ सहित 21-40 Kabir ke dohe arth sahit


कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 21

पतिबरता मैली भली गले कांच की पोत।।
सब सखियाँ में यों दिपै ज्यों सूरज की जोत ।।Kabir Das।।

Hindi Meaning (अर्थ ):  एक पतिव्रता स्त्री जो तन से मैली है और एक वह स्त्री जो पतिव्रता नहीं है जिसके गले में मोती की माला है , लेकिन सबसे ज्यादा चमक पतिव्रता स्त्री की होती है,उसकी चमक सखियों के बीच सूर्य के तेज के समान चमकती है|

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 22

हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना,।।
आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मुए, मरम न कोउ जाना।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): हिन्दू धर्म के लिए राम प्यारे है, और मुस्लिम धर्म के लिए अल्लाह (रहमान) प्यारे है| दोनों राम रहीम के चक्कर में आपस में लड़ मिटते हैं, और ऐसे लोग कभी भी सत्य को नहीं जान पाते|

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 23

तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय,।।
कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय।।Kabir Das।।

Hindi Meaning (अर्थ ): कबीरदास जी कहते हैं कि कभी भी छोटी से छोटी चीज़ की भी निंदा नहीं करनी चाहिए,क्योकि वक्त आने पर छोटी से छोटी चीज़ें भी बड़े काम आ जाती हैं| ठीक उसी प्रकार से जैसे एक छोटा सा तिनका पैरों तले कुचल जाता है लेकिन आंधी चलने पर वही तिनका आँखों में पड़ जाने पर बहुत तकलीफ देता है

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 24

दोस पराए देखि करि, चला हसन्त हसन्त,।।
अपने याद न आवई, जिनका आदि न अंत।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): इंसान की फितरत भी बड़ी अजीब सी होती है, दूसरों की बुराइयों को देखकर उन पर हँसता है, लेकिन उसके अपने दोष कभी नजर नहीं आते , जिसका ना कोई आदि है और न अंत|

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 25

जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ।।
मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ):  जो लोग लगातार कोशिश करते हैं, कठिन मेहनत करते हैं वह कुछ ना कुछ पाने में जरूर कामयाब हो जाते हैं| ठीक उसी तरह जब कोई गोताखोर गहरे पानी में डुबकी लगाता है, तो कुछ ना कुछ जरूर बाहर लाता है लेकिन जो लोग डूबने के डर से किनारे पर ही बैठे रहे हैं उनको जीवन में कुछ भी नहीं मिलता है |

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 26

कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हँसे हम रोये।।
ऐसी करनी कर चलो, हम हँसे जग रोये ।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): संत कबीर दास जी कहते हैं कि जब हम पैदा हुए थे तब ये सारी दुनिया उस समय खुश थी और हम उस समय रो रहे थे। अपने जीवन में कुछ ऐसा काम करके जाओ कि जब हम मरें तो दुनियां रोये और हम हँसे।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 27

ज्यों नैनन में पुतली, त्यों मालिक घर माँहि.।।
मूरख लोग न जानिए , बाहर ढूँढत जाहिं।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): हमारे आँखों की के अन्दर की पुतलीयो की तरह ही ईश्वर हमारे अंदर बसा होता है। दुनिया के मूर्ख लोग नहीं जानते और बाहर ही ईश्वर को खोजने में लगे रहते हैं।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 28

मांगन मरण समान है, मत मांगो कोई भीख,।।
मांगन से मरना भला, ये सतगुरु की सीख।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): कबीर दास जी इस सुन्दर पंक्ति में कहते है, कि मांगना तो मृत्यु के समान है, कभी किसी से भीख मत मांगो। मांगने से भला तो मर जाना बेहतर है

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 29

माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर ।।
आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर ॥ Kabir Das ।।

अर्थ – इंसान का मन और धन(माया) कभी नहीं मरा, जब इंसान मरता है तो शरीर बदलता है लेकिन इंसान की ईर्ष्या और इच्छा कभी नहीं मरती।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 30

धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय।।
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय ॥ Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): कबीर दास कहते हैं कि हे मन! दुनिया का सारे काम धीरे-धीरे ही होते है। इसलिए हमेशा सब्र करो। जिस प्रकार से माली चाहे कितने भी पानी से बगीचे को सींच ले , लेकिन वसंत ऋतू आने पर ही फूल खिलते हैं।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 31

लुट सके तो लुट ले, हरी नाम की लुट।।
अंत समय पछतायेगा, जब प्राण जायेगे छुट।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): कबीर दास जी कहते हैं कि इस संसार में हर जगह राम बसे हैं। आप जितनी भक्ति करना चाहते है , उतनी भक्ति करके राम के नाम को अपना बना लो, नहीं तो जब अंत समय आएगा तो आपको बहुत पछताना पड़ेगा।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 32

कागा का को धन हरे, कोयल का को देय |
मीठे वचन सुना के, जग अपना कर लेय || Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): दुनिया में किसी का भी कौआ धन नहीं चुराता ,लेकिन फिर भी कौआ को लोगों को पसंद नहीं होता। वहीँ दूसरी तरफ कोयल किसी को धन नहीं देती लेकिन सबको अच्छी लगती है। अपने मीठे वचन से पूरी दुनिया को अपने वश में कर लेती है |

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 33

कामी क्रोधी लालची, इनसे भक्ति न होय।।
भक्ति करे कोई सुरमा, जाती बरन कुल खोए।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): कबीर जी कहते हैं कि कामी लोग, क्रोधी लोग और लालची लोग, भक्ति नहीं कर पाते। भक्ति तो कोई सुरमा ही कर सकता है जो अपनी जाति, कुल, अहंकार हर चीज त्याग कर देता है।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 34

ऊँचे कुल का जनमिया, करनी ऊँची न होय।।
सुवर्ण कलश सुरा भरा, साधू निंदा होय।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): कबीर जी कहते हैं कि किसी इन्सान का जन्म ऊँचे कुल में हो जाए, लेकिन अगर उसका कर्म नीच हो , तो वह बिल्कुल वैसे हो होता है जैसे सोने के लोटे में जहर भरा हो, इसकी चारों ओर निंदा(बुराई) ही होती है।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 35

आये है तो जायेंगे, राजा रंक फ़कीर।।
इक सिंहासन चढी चले, इक बंधे जंजीर ।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): संत कबीर जी कहते हैं कि जो आया है उसे एक दिन जरूर जाना पड़ेगा। चाहे वह राजा हो या फिर फ़क़ीर, अंत समय पर यमदूत सबको एक ही जंजीर में बांध कर ले जायेंगे

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 36

कुटिल वचन सबसे बुरा, जा से होत न चार।।
साधू वचन जल रूप है, बरसे अमृत धार।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): संत कबीर जी कहते हैं कि कड़वे बोल बोलने से केवल बुरा काम होता है, कड़वे बोल से कभी भी किसी बात का समाधान नहीं हो सकता । वहीँ सज्जन लोग अपने जीवन में सुन्दर विचार और वाणी अमृत के समान बोलते हैं

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 37

ज्ञान रतन का जतन कर, माटी का संसार।।
हाय कबीरा फिर गया, फीका है संसार ।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): संत कबीर जी कहते हैं कि हमें ज्ञान पाने की कोशिश करनी चाहिए क्योकि ये संसार तो माटी का है, अगर आप ज्ञान नहीं हासिल करते हो, तो मृत्यु के बाद जीवन और फिर जीवन के बाद मृत्यु हमेशा यही क्रम चलता रहेगा

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 38

माखी गुड में गडी रहे, पंख रहे लिपटाए।।
हाथ मेल और सर धुनें, लालच बुरी बलाय ।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): कबीर जी कहते हैं कि मक्खी तो सबसे पहले गुड़ से लिपटी रहती है। अपने सारे पंख में भी गुड़ को चिपका लेती है लेकिन जब वह उड़ने का प्रयास करती है तो वह उड़ नहीं पाती तब उसे अफ़सोस होता है। ठीक इसी तरह से इंसान भी सांसारिक सुखों में लिपटा रहता है और अंत समय में अफ़सोस होता है।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 39

साईं इतना दीजिये, जामे कुटुंब समाये ।।
मैं भी भूखा न रहूँ, साधू न भूखा जाए।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ):संत कबीर कहते हैं कि हे प्रभु! मेरे को ज्यादा धन नहीं चाहिए, मेरे को बस इतना दीजिये की जिसमें मेरा परिवार अच्छे से खा सके। मैं भी भूखा ना रहूं और मेरे घर से कोई अतिथि भूखा ना जाये।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 40

शीलवंत सबसे बड़ा सब रतनन की खान।।
तीन लोक की सम्पदा, रही शील में आन ।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ):इन्सान का सबसे बड़ा गुण शांत और शीलता है और ये सभी रत्नों से महंगा रत्न है। जिस इन्सान के पास शीलता होती है वह इन्सान तीनों लोकों की संपत्ति का मालिक होता है।

कबीर के दोहे अर्थ सहित 40-60 Kabir ke dohe arth sahit


कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 41

राम बुलावा भेजिया, दिया कबीरा रोय।।
जो सुख साधू संग में, सो बैकुंठ न होय ।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ):  जब मृत्यु पास आई और राम ने बुलावा भेजा , तो संत कबीर जी रो पड़े और कहने लगे कि जो आनंद संत और सज्जनों की संगति में है वैसा आनंद तो स्वर्ग में भी नहीं होगा।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 42

नहीं शीतल है चंद्रमा, हिम नहीं शीतल होय ।।
कबीर शीतल संत जन, नाम सनेही होय।।

Hindi Meaning (अर्थ ): संत कबीर जी कहते हैं कि चन्द्रमा और बर्फ भी उतना शीतल नहीं होते होंगे जितना शीतल एक सज्जन पुरुष होता हैं। सज्जन पुरुष मन से शीतल और सभी से स्नेह करने वाले होते हैं|

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 43

कबीर सुता क्या करे, जागी न जपे मुरारी ।।
एक दिन तू भी सोवेगा, लम्बे पाँव पसारी ।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): संत कबीर दास जी कहते हैं कि आखिर तू क्यों हमेशा सोया रहता है, जाग कर भगवान की भक्ति कर, नहीं तो एक दिन तू लम्बे पैर पसार कर हमेशा के लिए सो जायेगा

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 44

कबीरा ते नर अँध है, गुरु को कहते और ।।
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर ।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): संत कबीर दास जी कहते हैं कि वह लोग अंधे होते है, जो गुरु की महिमा को नहीं समझ पाते। अगर भगवान आपसे रूठ जाते है, तो गुरु का सहारा मिल जाता है लेकिन अगर गुरु आपसे रूठ जाए तो दुनियां में कहीं आपका कोई सहारा नहीं है।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 45

कबीरा सोई पीर है, जो जाने पर पीर |
जो पर पीर न जानही, सो का पीर में पीर || Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): जो इंसान दूसरे की पीड़ा को समझता है वही एक सज्जन पुरुष है और जो दूसरे की पीड़ा ही ना समझ सके ऐसे इंसान होने से कोई फायदा नहीं।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 46

प्रेम पियाला जो पिए, सिस दक्षिणा देय |
लोभी शीश न दे सके, नाम प्रेम का लेय || Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ):संत कबीर दास जी कहते हैं कि जिसको प्रेम पाना है उसे अपना काम, क्रोध, भय, इच्छा को त्यागना होगा। लालची इंसान अपना काम, क्रोध, भय, इच्छा तो त्याग नहीं सकता लेकिन प्रेम पाने की उम्मीद रखता है|

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 47

नहाये धोये क्या हुआ, जो मन मैल न जाए |
मीन सदा जल में रहे, धोये बास न जाए || Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): संत कबीर कहते हैं कि आप कितना भी नहा धो ले, लेकिन अगर आपका मन साफ़ नहीं है, तो ऐसे नहाने से कोई फायदा नहीं , ये तो बिल्कुल वैसे ही है, जैसे मछली हमेशा पानी में रहती है लेकिन फिर भी वो साफ़ नहीं होती |

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 48

पाछे दिन पाछे गए हरी से किया न हेत |
अब पछताए होत क्या, चिडिया चुग गई खेत || Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): बीते दिन चले गये , आपने ना ही कोई परोपकार किया और ना ही भगवान का ध्यान किया। अब पछताने से क्या फायदा, जब चिड़िया चुग गयी खेत।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 49

जिन घर साधू न पुजिये, घर की सेवा नाही।।
ते घर मरघट जानिए, भुत बसे तिन माही।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): जिस घर के अन्दर साधु और सत्य की पूजा नहीं होती, उस घर में पाप बसता है। ऐसा घर तो बिल्कुल मरघट के समान होता है जहाँ तो दिन में ही भूत-प्रेत बसते हैं

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 50

प्रेम न बारी उपजे, प्रेम न हाट बिकाए।।
राजा प्रजा जो ही रुचे, सिस दे ही ले जाए।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): संत कबीर दास जी कहते हैं कि प्रेम कहीं खेतों में नहीं उगाया जाता और न ही प्रेम किसी बाजार में बिकता है। जिसको प्रेम चाहिए उसे अपना क्रोध, काम, इच्छा, भय त्यागना होता है।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 51

तीरथ गए से एक फल, संत मिले फल चार ।।
सतगुरु मिले अनेक फल, कहे कबीर विचार ।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): तीर्थ जाने से 1 पुण्य मिलता है, लेकिन संतो की संगति से चार पुण्य मिलते हैं। और सच्चे गुरु को पा लेने से जीवन में बहुत सारे पुण्य मिल जाते हैं

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 52

ते दिन गए अकारथ ही, संगत भई न संग।।
प्रेम बिना पशु जीवन, भक्ति बिना भगवंत।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): अब तक जो समय बीता वह व्यर्थ चला गया, ना कभी सज्जनों की संगति की और ना ही कोई अच्छा काम किया। भक्ति और प्रेम के बिना इंसान जानवर के समान है और भक्ति करने वाले इंसान के ह्रदय में भगवान का वास होता है।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 53

जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होए।।
यह आपा तो डाल दे, दया करे सब कोए।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): संत कबीर दास जी कहते हैं कि अगर आपका मन शीतल है तो दुनियां में कोई आपका दुश्मन नहीं बन सकता|

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 54

जल में बसे कमोदनी, चंदा बसे आकाश |
जो है जा को भावना सो ताहि के पास || Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): कबीर दास जी कहते हैं कि कमल तो जल में खिलता है और चन्द्रमा आकाश में रहता है। लेकिन चन्द्रमा का प्रतिबिम्ब जब भी जल में चमकता है तो कमल और चन्द्रमा में इतनी दूरी होने के बावजूद भी दोनों पास नजर आते है। वैसे ही जब कोई इंसान भगवान से प्रेम करता है तो भगवान स्वयं चलकर उसके पास आते हैं।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 55

जो घट प्रेम न संचारे, जो घट जान सामान ।।
जैसे खाल लुहार की, सांस लेत बिनु प्राण ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): संत कबीर दास जी कहते हैं कि वह जानवर के समान होता है जिस इंसान अंदर दूसरों के प्रति प्रेम की भावना नहीं है|

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 56

जहाँ दया तहा धर्म है, जहाँ लोभ वहां पाप ।।
जहाँ क्रोध तहा काल है, जहाँ क्षमा वहां आप।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): जहाँ पर दया है वहीँ पर धर्म है और जहाँ पर लोभ है वहां पर पाप है, और जहाँ पर क्रोध है वहां पर सर्वनाश है और जहाँ पर क्षमा है वहाँ पर ईश्वर विद्धमान होता है

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 57

ज्यों तिल माहि तेल है, ज्यों चकमक में आग।।
तेरा साईं तुझ ही में है, जाग सके तो जाग।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): जिस प्रकार तिल के अंदर तेल होता है, और आग के अंदर रौशनी होती है ठीक उसी तरह से हमारा ईश्वर हमारे अंदर ही विद्धमान होता है, अगर आत्मा में परमात्मा को ढूंढ सकते हो तो ढूढ लो।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 58

काल करे सो आज कर, आज करे सो अब ।।
पल में परलय होएगी, बहुरि करेगा कब ।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): हमारे पास समय बहुत कम है, जो काम कल करना है वो काम आज करो, और जो कम आज करना है वो काम अभी करो, क्योकि पलभर में प्रलय जो जाएगी फिर आप अपने काम कब करेंगे|

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 59

मलिन आवत देख के, कलियन कहे पुकार ।।
फूले फूले चुन लिए, कलि हमारी बार ।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): मालिन को आते देखकर बगीचे में लगी कलियाँ आपस में बातें करती हैं कि आज मालिन ने फूलों को तोड़ लिया और कल हमारी बारी आ जाएगी। अर्थात आज आप अभी जवान हैं कल आप भी बूढ़े हो जायेंगे और एक दिन मिट्टी में मिल जाओगे।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 60

चलती चक्की देख के, दिया कबीरा रोये ।।
दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोए ।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): कबीर दास जी के आँसू निकल आते हैं चलती चक्की को देखकर और वो कहते हैं कि चक्की के दो पाटों के बीच में कुछ साबुत नहीं बचता|

कबीर के दोहे मीठी वाणी- Kabir ke dohe mithi Vani


कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 61

माटी कहे कुमार से, तू क्या रोंदे मोहे।।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रोंदुंगी तोहे ।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): संत कबीर दास जी कहते हैं कि जब कुम्हार बर्तन बनाने के लिए मिटटी को रौंद रहा था, तो मिट्टी कुम्हार से कहती है – तू मुझे रौंद रहा है, एक दिन ऐसा आएगा जब तू इसी मिट्टी में विलीन हो जायेगा और मैं तुझे रौंदूंगी

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 62

दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय ।।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे को होय ।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): ईश्वर को हर इंसान तभी याद करता है जब कोई दुःख होता है, लेकिन सुख में सब भगवान को भूल जाते हैं। अगर सुख में भी भगवान को याद करो तो दुःख कभी आएगा ही नहीं

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 63

निंदक नियेरे राखिये, आँगन कुटी छावायें ।।
बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुहाए ।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): हमेशा दूसरों की बुराइयां करने वाले लोगों को हमेशा अपने पास रखना चाहिए, क्यूंकि ऐसे लोग अगर आपके पास रहेंगे तो आपकी बुराइयाँ आपको बताते रहेंगे और आप बड़ी आसानी से अपनी गलतियां सुधार सकते हैं। इसीलिए निंदक लोग इंसान का स्वभाव शीतल बना देते हैं।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 64

ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोये।।
औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए ।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ):संत कबीर दास जी कहते हैं कि इंसान को ऐसी भाषा(वाणी) बोलनी चाहिए जो सुनने वाले के मन को बहुत अच्छी लगे। ऐसी भाषा(वाणी) दूसरे लोगों को तो सुख पहुँचाती ही है, इसके साथ खुद को भी बड़े आनंद का अनुभव होता है।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 65

सब धरती काजग करू, लेखनी सब वनराज ।।
सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाए ।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): कबीर दास जी कहते हैं कि अगर पूरी धरती के बराबर कागज बनाये और दुनियां के सभी वृक्षों की कलम बना लूँ और सातों समुद्रों के बराबर स्याही बना लूँ तो भी गुरु के गुणों को लिखना संभव नहीं है

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 66

यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान।।
शीश दियो जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): यह शरीर है वो जहर से भरा हुआ है और गुरु अमृत की खान के समान हैं। अगर आपको अपना सर देने के बदले में आपको कोई सच्चा गुरु मिले तो ये सौदा भी बहुत सस्ता है|

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 67

गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पाँय ।।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय ।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ):कबीर दास जी बताते है कि अगर हमारे सामने गुरु और भगवान दोनों एक साथ खड़े हों तो आप किसके चरण पहले छुए ? गुरु ने तो अपने ज्ञान से ही हमें भगवान से मिलने का रास्ता बताया है इसलिए गुरु की महिमा भगवान से भी ऊपर है और हमें सबसे पहले गुरु के चरण स्पर्श करने चाहिए|

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 68

कहा सिखापना देत हो, समुझि देख मन माहि।। Kabir Das ।।
सबै हरफ है द्वात मह, द्वात ना हरफन माहि।।

Hindi Meaning (अर्थ ): कबीर दास जी इस कबीर दोहा में कहते हैं कि परमात्मा को अपने मन से समझो मैं कितनी शिक्षा देता रहूॅ। परमात्मा तो हर जगह बिराजमान है परमात्मा इस सृष्टि में भी है और इससे बाहर भी|

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 69

ज्ञान भक्ति वैराग्य सुख पीव ब्रह्म लौ ध़ाये।।
आतम अनुभव सेज सुख, तहन ना दूजा जाये।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): ज्ञान,भक्ति,वैराग्य का सुख जल्दी से भगवान तक पहुॅंचाता है। और आत्मा और परमात्मा का मेल होता है। जहाॅं पर और कोई चीज प्रवेश नहीं कर सकती।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 70

ताको लक्षण को कहै, जाको अनुभव ज्ञान।।
साध असाध ना देखिये, क्यों करि करुन बखान।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): जिसे इन्सान के पास अनुभव का ज्ञान होता है उसके लक्षणों के बारे में क्या कहा जाय। वह साधु-असाधु में कभी भेद नहीं देखता है। वह समदर्शी होता है। अतः उसके बारे में क्या बखान किया जाय।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 71

दूजा हैं तो बोलिये, दूजा झगड़ा सोहि।।
दो अंधों के नाच मे, का पै काको मोहि।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): परमात्मा को अलग-अलग कह कर लोग झगडा करते है और यही तो सभी झगड़ों की जड़ है। दो अंधों के नाच में कौन अंधा किस अंधे पर मुग्ध होगा?

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 72

नर नारी के सूख को, खांसि नहि पहिचान।।
त्यों ज्ञानि के सूख को, अज्ञानी नहि जान।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): जिस तरह स्त्री पुरुष के मिलन के सुख को कोई नपुंसक नहीं समझ सकता है। उसी तरह ज्ञानी का सुख एक मूर्ख नहीं जान सकता है।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 73

निरजानी सो कहिये का, कहत कबीर लजाय
अंधे आगे नाचते, कला अकारथ जाये। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): कबीर दास जी को कहते हुए भी लज्जा आ रही है कि अज्ञानी से क्या ज्ञान की बात की जाये। वह तो बिल्कुल वैसे ही है जैसे अंधे के सामने नाच दिखाने से उसकी कला भी व्यर्थ हो जाती है। अज्ञानी के सामने आत्मा परमात्मा की बात करना व्यर्थ है

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 74

बूझ सरीखी बात हैं, कहाॅ सरीखी नाहि।।
जेते ज्ञानी देखिये, तेते संसै माहि।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ):कबीर दास ने कहा है कि परमांत्मा की बातें समझने की चीज है। लेकिन इसे सीखता कोई नहीं है | जितने बुद्धिमान ज्ञानी हैं वे सभी अत्यंत भ्रम में है।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 75

भीतर तो भेदा नहीं, बाहिर कथै अनेक।।
जो पाई भीतर लखि परै, भीतर बाहर एक।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ):कबीर दास जी कहते हैं कि अगर हृदय में परमात्मा के दर्शन हो जाए तो अन्दर -बाहर परमात्मा के बारे में जो अलग-अलग विचार है वह सब एक समान लगने लग जायेंगें।

 

कबीर दोहा (Kabir Dohe) : 76

अंधो का हाथी सही, हाथ टटोल-टटोल।।
आखोँ से नहीं देखिया, ताते विन-विन बोल।। Kabir Das ।।

Hindi Meaning (अर्थ ): कबीर दास जी कहते हैं कि यह अंधों का हाथी है, जो अंधेरे में अपने हाथों से टटोल-टटोल कर देख रहा है । वह अपने आॅखों से उसे नहीं देख रहा है और उसके बारे में अलग-अलग बातें कह रहा है ।